भारत में विलय के बाद भी गोवा की पश्चिमी संस्कृति अक्षुण्ण रही

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यूरोपीय संस्कृति वाला भारत का इकलौता राज्य गोवा

अगर आप गोवा में है तो कोई बंदिश नहीं। बिंदास जीवन का मज़ा ले सकते हैं। भारत का इस सबसे छोटा राज्य में खुलेपन का अपना ही मजा है। इसीलिए गोवा को भारत का इकलौता यूरोपीय शहर कहा जा सकता है। पूरे देश में केवल यही जगह हैं जहां लड़कियां समुद्र तट पर बिकनी पहन कर बिंदास घूम सकती हैं। अपने ढंग से ज़िंदगी जी सकती हैं। न तो कोई बंदिश होती है न ही किसी तरह का फतवा या फरमान कि ऐसे रहो, ये कपड़े पहनो।

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सचमुच में गोवा स्त्री को ही नहीं पुरुषों को भी सहज जीवन-शैली जीने का अवसर देता है। वस्तुतः गोवा करीब करीब 450 साल तक पुर्तगाली शासन के अधीन रहा, इस कारण यहां यूरोपीय संस्कृति का प्रभाव बहुत महसूस होता है। सबसे बड़ी बात छह दशक पहले इसे आज़ाद कराने के बाद भारत ने इसकी नैसर्गिकता को जस का तस बनाए रखा है। इसीलिए जब कोई समुद्र तट पर घूमने का मन बनाता है तो उसके दिमाग़ में सबसे पहले गोवा ही कौंधता है।

यूरोप की तरह खुले गोवा में वैसे ईसाई केवल 28 फीसदी हैं, जबकि हिंदू आबादी 60 फ़ीसदी है। लेकिन लंबे समय तक यूरोपीय संस्कृति के अधीर रहने के कारण यूरोप का खुलापन गोवा में रच-बस गया है। गोवा की एक खास बात यह है कि, यहां के ईसाई समाज में भी हिंदुओं जैसी जाति व्यवस्था पाई जाती है। अपनी इसी ख़ूबी के चलते गोवा अपने देश के अंदर सभी का सबसे पसंदा टूरिस्ट प्लेस है। सभी लोग यहां आकर वक्त बिताना चाहते हैं। बीच लाइफ का मजा लेना चाहते हैं।

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इसीलिए गोवा दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करता है। भारत के साथ साथ विदेशी सैलानी यहां आकर जीवन का लुत्फ़ लेते हैं। खासकर सर्दियों के महीनों के दौरान जब लोग ठंड से बचना चाहते हैं और आराम करना चाहते हैं। तब गोवा के खूबसूरत बीच हैं सर्वोत्तम विकल्प बनकर सामने आते हैं। गोवा का क्षेत्रफल महज़ 3702 वर्ग किलोमीटर है, लेकिन इसका समुद्री किनारा 132 किलोमीटर लंबा है। जिस पर अनगिनत बीचेज़ हैं। उत्तर से दक्षिण या दक्षिण से उत्तर चलने पर हर पांच मिनट की यात्रा के बाद एक नया बीच मिलता है।

मोरजिम बीच उत्तरी गोवा के सबसे शांत समुद्र तटों में से एक है। यहां 3 किलोमीटर लंबा आफ वाइल्ड सैंड का आनंद लेते ही बनता है। सूर्यास्त का खूबसूरत दृश्य बहुत सुकून देता है। पास में ही कैलंग्यूट बीच है जो गोवा का सबसे लंबा समुद्र तट है, जो कैंडोलिम समुद्र तट से शुरू होकर बागा समुद्र तट तक फैला है। इस कारण इसे “समुद्र तटों की रानी” भी कहा जाता है। गोवा के सबसे व्यस्त और सबसे व्यावसायिक समुद्र तटों में से एक होने के कारण यहां हर जगह बहुत ही फ्रेंडली माहौल रहता है।

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उत्तरी गोवा का सिंक्वेरिम बीच भी राज्य के सबसे अच्छे समुद्र तटों में से एक है। ये विंडसर्फिंग, पैरासेलिंग, स्कूबा डाइविंग, वाटर स्कीइंग और फिशिंग के लिए प्रसिद्ध है। पाम ट्री से घिरी सुनहरी रेत के साथ समुद्र तट की सेटिंग इतनी भव्य है कि इस जगह बार-बार आने का मन करता है। कुछ किलोमीटर पर बागा बीच है, जो अपने सुंदर सूर्यास्त के दृश्य और नाइटलाइफ के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। ये सैलानियों की पसंदीदा बीचेज में से एक है। यहां समुद्र तट का अपना अलग आकर्षण है।

अंजुना बीच की तो बात ही निराली है। यहां जगह-जगह बहुत कम कपड़े में कपल खुले आसमान के नीचे रेत पर लेते नरम धूम खाते देखे जा सकते हैं। यह तट वाटरस्पोर्ट्स, नाइटक्लब, पार्टियों और पिस्सू बाजारों के लिए जाना जाता है। उत्तरी गोवा के सबसे अच्छे समुद्र तटों में से एक है अरामबोल बीच। इसे भी गोवा के सबसे खूबसूरत समुद्र तटों में से एक माना जाता है। ये एक चट्टानी रेत से ढका समुद्र तट है जिसके एक छोर पर जंगल और दूसरे छोर पर समुद्र है।

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इस राज्य के सबसे खूबसूरत बीच में से एक है वागाटोर बीच। अपनी सफेद रेत और खूबसूरत चट्टानों के चलते इसकी ख़ूबसूरती में चार चंद लग जाता है। व्यापक मनोरम दृश्य, समुद्र तट के किनारे और ट्रान्स पार्टियां इसे एक लोकप्रिय गंतव्य बनाती हैं। इस समुद्र तट को दो प्रमुख भागों लिटिल वैगेटर और बिग वैगेटर में बांटा गया है। इसके अलावा गोवा के अगोंडा बीच, बेनौलिम बीच, कैवेलोसिम बीच, चापोरा बीच, मैंडरम बीच, पालोलेम बीच, वरका बीच, कैंडोलिम बीच, कोल्वा बीच और मिरामार बीच भी मशहूर हैं।

गोवा की भाषा कोंकणी और लिपि देवनागरी है। हिन्दी का भी अधिकाधिक उपयोग होता है। गोवा शब्द के उत्पत्ति की बात करें तो महाभारत में गोवा का उल्लेख गोपराष्ट्र यानि गोपालकों के देश के रूप में मिलता है। दक्षिण कोंकण क्षेत्र का उल्लेख गोवाराष्ट्र के रूप में पाया जाता है। हरिवंशम और स्कंद पुराण और दूसरे संस्कृत ग्रंथो में गोवा को गोपकपुरी और गोपकपट्टन भी कहा गया है। कहीं-कहीं इसे गोअंचल गोवे, गोवापुरी, गोपकापाटन और गोमंत भी कहा गया है। टोलेमी ने गोवा का उल्लेख वर्ष 200 के आस-पास गोउबा के रूप में भी किया है।

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यहां आने वाले अरब के मध्ययुगीन यात्रियों ने अपने संस्मरण में इस क्षेत्र को चंद्रपुर और चंदौर के नाम से इंगित किया है जो मुख्य रूप से तटीय शहर था। पुर्तगाल के यात्रियों ने जिस स्थान का नाम गोवा रखा वह आज का छोटा सा समुद्र तटीय शहर गोअ-वेल्हा है। बाद में उस पूरे क्षेत्र को गोवा कहा जाने लगा। संस्कृति की दृष्टि से गोवा की संस्कृति काफी प्राचीन है। 1000 साल पहले कहा जाता है कि गोवा कोंकण काशी के नाम से जाना जाता था। स्थानीय जनश्रुतियों में गोवा और कोंकण का विस्तार गुजरात से केरल तक बताया जाता है।

कहा जाता है कि इसकी रचना भगवान परशुराम ने की थी। यह भी माना जाता है कि परशुराम ने यज्ञ के दौरान अपने बाणो की वर्षा से समुद्र को कई स्थानों पर पीछे धकेल दिया था और लोगों का कहना है कि इसी वजह से आज भी गोवा में बहुत से स्थानों का नाम वाणावली और वाणस्थली की तरह हैं। उत्तरी गोवा में हरमल के पास आज भूरे रंग के एक पर्वत को परशुराम के यज्ञ करने का स्थान माना जाता है।

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गोवा के इतिहास की शुरुआत तीसरी सदी ईसा पूर्व से शुरू होता है। उस समय यहां मौर्य वंश के शासक अशोक की शासन व्यवस्था स्थापित हुई थी। बाद में पहली सदी के शुरुआत में इस पर कोल्हापुर के सातवाहन वंश का शासन स्थापित हुआ। उसके उपरांत यह बादामी के चालुक्य अधीन आ गया। चालुक्य वंश के शासको ने यहां वर्ष 580 से 750 तक राज किया। इसके उपरांत इस पर कई अलग अलग शासकों का अधिकार रहा। वर्ष 1312 में गोवा पहली बार दिल्ली सल्तनत के अधीन आया, लेकिन उन्हें विजयनगर के शासक हरिहर प्रथम ने दिल्ली दरबार की सेना को खदेड़ दिया। अगले सौ सालों तक विजयनगर के शासकों ने यहां शासन किया।

गुलबर्ग के बहामी सुल्तान ने 1469 में फिर से इसे दिल्ली सल्तनत का हिस्सा बना दिया। बहामी शासकों के पतन के बाद बीजापुर सल्तनत यानी आदिल शाह ने गोवा पर कब्जा कर लिया। उसने बीजापुर के बाद गोअ-वेल्हा को अपनी दूसरी राजधानी बना दिया। पुर्तगालियों के गोवा आगमन के बाद यहां का नक्शा पूरी तरह बदल गया। 1510 में, पुर्तगालियों ने एक स्थानीय सहयोगी, तिमैया की मदद से सत्तारूढ़ बीजापुर सुल्तान यूसुफ आदिल शाह को पराजित कर दिया। उसके बाद पुतगालियों ने वेल्हा गोवा में स्थायी राज्य की स्थापना की।

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गोवा में पुर्तगाली शासन अगली साढ़े चार सदियों तक चला। उसी दौरान यह राज्य यूरोपीय संस्कृति में ढल गया। 1843 में पुर्तगाली राजधानी को वेल्हा गोवा से हटाकर पणजी कर दिया। मध्य 18वीं सदी तक पुर्तगालियों ने संपूर्ण गोवा दमन और दीव तक अपनी सीमा का विस्तार किया। अंग्रेजों से स्वतंत्र होने के बाद भारत ने 1947 में अनुरोध किया कि इस पुर्तगाली प्रदेशों को भारतीय उपमहाद्वीप में विलय करके इसे भारत को सौंद दिया जाए। किंतु पुर्तगाल ने अपने भारतीय परिक्षेत्रों की संप्रभुता पर बातचीत करना अस्वीकार कर दिया।

लिहाज़ा, 19 दिसंबर 1961 को भारतीय सेना ने गोवा, दमन और दीव को भारत में मिलाने के लिए ऑपरेशन विजय के नाम से सैन्य अभियान शुरू किया और उसी दिन इन तीनों क्षेत्रों को अपने नियंत्रण में ले लिया। उसके बाद गोवा, दमन और दीव भारत के केंद्र शासित क्षेत्र बन गए। राजीव गांधी ने 30 मई 1987 भारतीय संसद में प्रस्ताव पारित करके गोवा को देश का पच्चीसवां राज्य बना दिया गया। दमन और दीव को केंद्र शासित प्रदेश ही रहने दिया।

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गोवा के दक्षिण भाग में ईसाई समाज का ज्यादा प्रभाव है, लेकिन वहां के वास्तुशास्त्र में हिंदू प्रभाव दिखाई देता है। सबसे प्राचीन मन्दिर गोवा में दिखाई देते है। उत्तर गोवा में ईसाइ कम संख्या में हैं इसलिए वहां पुर्तगाली वास्तुकला के नमूने ज्यादा दिखाई देते है। गोवा का प्रमुख उद्योग पर्यटन है। यहां लौह खनिज भी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। गोवा मत्स्य उद्योग के लिए भी जाना जाता है लेकिन मछली निर्यात नहीं की जाती, बल्कि स्थानीय बाजारों में बेची जाती है।

यहां का काजू सउदी अरब, ब्रिटेन और अन्य यूरोपीय राष्ट्रों को निर्यात होता है। गोवा मुक्ति दिवस की 60वीं वर्षगांठ के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गोवा पहुंचे। राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द, गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत देश के प्रमुख नेताओं ने गोवा की जनता को इस मैके पर बधाई संदेश भेजा।

लेखक – हरिगोविंद विश्वकर्मा

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