शीतला प्रसाद
इन दिनों मुंबई प्रवास पर आए उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के नेता, नमामि गंगे के संयोजक और विश्वकर्मा महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेंद्र विश्वकर्मा की अगुवाई में रविवार की शाम कांदिवली पूर्व में हुए विश्वकर्मा महासम्मेलन में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के न आने से उनको सुनने के लिए महाराष्ट्र के कोने-कोने से आए सैकड़ों लोगों को घनघोर निराशा हुई। हालांकि कहा गया था कि मुख्यमंत्री शाम चार बजे पहुंचेंगे, लेकिन लोगों ने सभा स्थल पर देर रात इंतजार किया। उसके बाद मायूस होकर अपने-अपने घर चले गए।
पिछले एक पखवारे से इस कार्यक्रम की तैयारी चल रही थी। औरंगाबाद, नागपुर, धुले, रायगड़, पुणे, सांगली, सतारा, हिंगेली समेते राज्य के कोने कोने से उत्साही लोग निजी बस करके कांदिवली पहुंचे थे। शाम आठ बजे तक मुख्यंमंत्री का आगमन नहीं हुआ तो दूर-दराज़ से आए लोग एक एक करके सभास्थल से जाने लगे, लेकिन मुंबई और ठाणे के लोग सभा स्थल पर देर रात तक डटे रहे। बहरहाल, जब यह तय हो गया कि मुख्यमंत्री नहीं आएंगे तो लोग सभास्थल से लौट गए।
हालांकि मुख्यमंत्री सचिवालय और वर्षा के सूत्रों ने रविवार की देर रात दी गई जानकारी में कहा कि विश्वकर्मा महासम्मेलन के आयोजन समिति में कुछ दागी किस्म के लोगों के शामिल होने की पुलिस की खुफिया सूचना के बाद मुख्यमंत्री ने शनिवार की शाम ही इस कार्यक्रम में न जाने का फैसला कर लिया था। इस बारे में मुख्यमंत्री के कार्यक्रम बनाने वाले विभाग को सूचित कर दिया गया था।
मुख्यमंत्री के इस फैसले के बाद शनिवार की शाम मुख्यमंत्री सचिवालय से सीएम का जो कार्यक्रम जारी हुआ उसमें एक ही कार्यक्रम का ब्योरा दिया गया था और वह ब्योरा ठाणे के कलवा में शाम को तीसरे पुल के उद्घाटन का था। मुख्यमंत्री सचिवालय की ओर से जारी कार्यक्रम में कांदिवली पूर्व के लोखंडवाला में हुए विश्वकर्मा महासम्मेलन में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के शामिल होने का कोई जिक्र ही नहीं किया गया।
कहा जा रहा है कि महेंद्र विश्वकर्मा तो अच्छी भावना से समाज के लोगों को एकजुट करके विश्वकर्मा समाज की ताकत शासन-प्रशासन को दिखाना चाहते थे, लेकिन कुछ संदिग्ध आचरण के लोगों ने पूरे आयोजन को ही विवादास्पद बना दिया। मुंबई में सक्रिय प्रतिष्ठित विश्वकर्मा संस्था विश्वकर्मा समिति, मुंबई और श्री विश्वकर्मा कल्याण समिति कुर्ला और दूसरे संस्थाओं को न तो भरोसे मे लिया गया और न ही उनके पदाधिकारियों को बुलाया गया। मुख्यमंत्री के न आने की एक प्रमुख वजह यह भी रही।
मुख्यमंत्री के विश्वकर्मा महासम्मेलन में न आने की बात पूछने पर मुख्यमंत्री सचिवालय के एक अधिकारी ने कहा कि मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के संबंध में गोपनीय रिपोर्ट में कहा गया था कि इस कार्यक्रम की आयोजन समिति में कुछ दागी किस्म के लोगों शामिल किए गए हैं। उनके नाम और फोटो हर बैनर-पोस्टर में दिख रहे हैं। इसके अलावा गोपनीय रिपोर्ट में यह भी जिक्र किया गया था कि कई वाट्सअप ग्रुपों पर सम्मेलन के नाम पर धन उगाही की खबरें आ रही हैं।
उधर पुलिस सूत्रों ने यह भी कहा कि कार्यक्रम के बारे में उन्होंने विश्वकर्मा समाज के बुद्धिजीवियों और दूसरी संस्थाओं के पदाधिकारियों से संपर्क करने के बाद गोपनीय रिपोर्ट तैयार की थी। पुलिस ने बताया कि उसे कई ऑडियो क्लिप भी मिले हैं जिसमें आयोजन समिति में शामिल कुछ सदस्यों के संदिग्ध चरित्र का जिक्र है। हालांकि ऑडियो क्लिप के बारे में पुलिस ने और ब्योरा देने से मना कर दिया।
गौरतलब है कि विश्वकर्मा महासम्मेलन में सांस्कृतिक कार्यक्रम में गैर-विश्वकर्मा कलाकारों को बुलाने पर भी सवाल उठाया गया था। कई ग्रुपों पर इस बात की भी चर्चा हुई थी कि जब मुंबई में विश्वकर्मा समाज में कई गायक/गायिकाएं, की-बोर्ड से लेकर ढोलक, तबला, हारमोनियम और दूसरे इंस्ट्रूंमेंट बजाने वाले बेहतरीन कलाकर उपलब्ध हैं तो फिर गैर-विश्वकर्मा कलाकारों को क्यों और किसके कहने पर बुलाया गया।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि गोपनीय रिपोर्ट में यह भी खुलासा किया कि उसे पांच सौ रुपए, एक हजार रुपए, 10 हजार रुपए, 25 हजार रुपए और 51 हजार रुपए की ढेर सारी रसीदें और डिजिटल ट्रांसफर की डिटेल्स प्राप्त हुई हैं, जिससे यह साबित हो जाता है कि आयोजन समिति में शामिल कुछ लोग विश्वकर्मा महासम्मेलन के नाम पर कुछ लोगों ने बड़े पैमाने पर धन की उगाही की है। बहरहाल, इस बारे में महेंद्र विश्वकर्मा से संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन संपर्क नहीं हो सका।
(लेखक शीतला प्रसाद मुंबई के वरिष्ठ पत्रकार हैं।)