अलविदा महेंद्र सिंह धोनी और सुरेश रैना
मैं पल दो पल का शायर हूं, पल दो पल मेरी कहानी है। पल दो पल मेरी हस्ती है, पल दो पल मेरी जवानी है… मुकेश का यह गाना सुनते हुए आधुनिक भारतीय क्रिकेट टीम के चाणक्य और शुरुआती दौर में तूफानी बल्लेबाज रहे महेंद्र सिंह धोनी और स्लॉग ओवर्स के दुनिया के सबसे ख़तरनाक बल्लेबाजों में से एक सुरेश रैना ने आज अचानक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया। दो बेहतरीन बल्लेबाज़ों के अचानक क्रिकेट से संन्यास ले लेने से क्रिकेटप्रेमी हैरान रह गए। बतौर कप्तान भारत को अनगिनत टेस्ट मैच और वनडे में जीत दिलाने वाले धोनी को कम से कम सम्मानजनक विदाई दी जानी चाहिए थी।
सबसे दुखद पहलू यह रहा कि दोनों असाधारण बल्लेबाजों को स्टेडियम में दर्शकों का ताली भरा अभिवादन स्वीकार करते हुए क्रिकेट को अलविदा कहने का अवसर नहीं मिला। लिहाज़ा बल्लेबाज-विकेटकीपर धोनी और खब्बू बल्लेबाज और असाधारण फील्डर रैना को क्रिकेट से विदा लेने के लिए सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म का सहारा लेना पड़ा। धोनी और रैना दोनों ने आज देश के स्वाधीनता दिवस के दिन अपने-अपने इंटाग्राम प्लेफॉर्म पर अपने चाहने वालों को यह जानाकरी दी कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का उनका सफ़र अब यही समाप्त होता है।
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जहां शुरुआती दौर में अपने लंबे बालों और हेलिकॉप्टर शॉट्स से पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ तक को मुरीद करने वाले धोनी को उनकी बेहतरीन योजना और रणनीति के चलते हमेशा याद किया जाएगा, वहीं रैना को विश्व कप 2011 के अहमदाबाद के मोटेरा मैदान में दूसरे क्वार्टर फाइनल मुकाबले में तूफानी गेंदबाज ब्रेट ली की आग उगलती गेंद पर लांग ऑन के ऊपर से ऐतिहासिक छक्के वाले पल को क्रिकेटप्रेमी हमेशा अपनी स्मृतियों में महफ़ूज़ रखना चाहेंगे, क्योंकि उस छक्के में मैच का पासा पलट दिया था और अंततः भारत दूसरी बार विश्वचैंपियन बना था।
विकेटकीपर-बल्लेबाज एमएस धोनी
टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने इंटरनेशनल क्रिकेट को कभी-कभी फिल्म के मुकेश के गाए गाने ‘मैं पल दो पल का शायर हूं…’ के साथ अलविदा कहा। माही ने इंस्टाग्राम पर लिखा, ‘आप लोगों के प्यार और सहयोग के लिए धन्यावाद. शाम 7.29 बजे से मुझे रिटायर समझा जाए.’ उन्होंने अपने इस पोस्ट में अपने करियर के तमाम उतार चढ़ाव को ‘मैं पल दो पल का शायर हूं’ गाने से बड़े ही ख़ूबसूरत अंदाज़ में दिखाया। उनकी घोषणा के साथ ही बीते 15-16 सालों से भारतीय क्रिकेट में चला आ रहा धोनी का क्रिकेट के करिश्माई युग का अंत हो गया। हालांकि इस सीजन आईपीएल में वे एक बार फिर से चेन्नई सुपर किंग्स की ओर से खेलते दिखेंगे।
जब धोनी ने अपना पहले वनडे मुकाबले में 23 दिसंबर 2004 को चटगांव में बांग्लादेश के खिलाफ शून्य पर वापस पैवेलियन लौट गए, तब तब किसी ने भी नहीं सोचा होगा कि माही एक दिन दुनिया के इतने बड़े खिलाड़ी बन जाएंगे और क्रिकेट फैंस उन्हें इतना प्यार करने लगेंगे। धोनी इकलौते ऐसे कप्तान हैं जिन्होने भारत को 50 ओवरों का विश्व कप, टी20 विश्व कप और चैंपियन्स ट्रॉफी अपनी कप्तानी में जिताई है। वह साल 2014 में ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान पहले ही टेस्ट क्रिकेट से संन्यास ले चुके हैं।
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धोनी ने 31 अक्टूबर 2005 को श्रीलंका के छक्के छुड़ा दिए थे। जयपुर के सवाई मान सिंह स्टेडियम में खेले गए वनडे में धोनी ने श्रीलंका के खिलाफ 145 गेंदों में 183 रन ठोक दिए थे। विकेटकीपर बल्लेबाज के तौर पर वनडे इतिहास का यह सबसे बड़ा निजी स्कोर रहा, जो आज भी कायम है। धोनी से पहले यह रिकॉर्ड ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज बल्लेबाज एडम गिलक्रिस्ट के 172 रनों के नाम था। इसके बाद तो धोनी पूरे देश में छा गए।
पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ भी दिवाने हो गए थे। उन्होंने धौनी के बकायदा बाल न कटाने की सलाह दे दी थी। सौरव गांगुली के नेतृत्व में साल 2006 में भारतीय टीम पाकिस्तान दौरे पर गई थी। फरवरी में दोनों देशों के बीच वनडे सीरीज खेली गई। वनडे सीरीज का तीसरा मुकाबला लाहौर के गद्दाफी स्टेडियम में खेला गया। मैच में पाकिस्तान ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 288 रन बनाए। धौनी ने मैच में केवल 46 गेंदों में 13 चौकों की मदद से नाबाद 72 रन बनाकर टीम को जीत दिला दी। मैच देखने मुशर्रफ भी पहुंचे थे। उन्होंने धौनी की काफी तारीफ की। मुशर्रफ ने उनकी बालों प्रशंसा करते हुए कहा था कि मैंने मैदान में कई प्लेकार्ड लगे हुए देखें हैं, जिसमें धौनी को हेयर कट की सलाह दी जा रही है, लेकिन धौनी आप मेरी राय माने तो आपको अपने बाल नहीं कटवाने चाहिए, इन बालों में आप काफी अच्छे दिखते हैं। भारतीय टीम पाकिस्तान में जीत कर लौटी थी।
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दरअसल, श्रीलंका के कप्तान मर्वन अट्टापट्टू ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए कुमार संगकारा की 147 गेंद पर 13 चौके और 2 छक्के की मदद से 138 रनों की शानदार पारी की बदौलत भारत के सामने 298 रनों का लक्ष्य रखा। उन दिनों 250 रनों का लक्ष्य काफी चुनौती पूर्ण होता था, लगभग तीन सौ रन बनाना टेढ़ी खीर थी।
लिहाज़ा, 299 के टारगेट से भारतीय खेमे में बेचैनी देखी गई। यहां यह बताना ज़रूरी है कि जब भी भारत को बड़े टारगेट को पाने के लिए लंबी पारी की ज़रूरत होती थी, क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंडुलकर सस्ते में आउट हो जाते थे। उनकी एकाध पारी को छोड़ दें तो उनकी कोई भी इनिंग कभी भारत के काम नहीं आई। उस दिन भी सचिन चमिंडा वास के पहले ओवर में 3 गेंद खेले और 2 रन बनाने के बाद पांचवी गेंद पर विकेट के पीछे संगकारा को कैच थमा बैठे।
पहाड़ जैसे स्कोर का सामना कर रहे भारत का संकट और गहरा गया। इसके बाद कप्तान राहुल द्रविण ने वीरेंद्र सेहवाग का साथ देने के लिए धोनी को भेजा। धोनी ने चामिंडा वास और मुथैया मुरलीधरन जैसे खतरनाक गेंदबाजों का सामना किया। उन्होंने सेहवाग के साथ मिलकर 92 रन 14 ओवर में ही जोड़ डाले। इसके बाद 37 गेंद पर 39 रन बनाने वाले सेहवाग मुरलीधरन क गेंद पर पगबाधा हो गए, लेकिन धोनी का कत्लेआम जारी रहा। उन्होंने अपने हेलीकॉप्टर शॉट का कमाल दिखाते हुए ताबड़तोड़ पारी खेली। धोनी ने 40 गेंदों में अर्धशतक पूरा किया और 85 गेंदों में शतक जड़ दिया और राहुल द्रविड़ (34 गेंद पर 28 रन), युवराज सिंह (24 गेंद पर 18 रन) और वेणुगोपल राव (39 गेंद पर 19 रन) के साथ मिलकर 46-1 ओवर में 303 रन बनाकर मैच को श्रीलंका से छह विकेट से छीन लिया। आखिर में धोनी 145 गेंदों में 183 रन बनाकर नाबाद लौटे। धोनी ने अपनी इस पारी में 15 करारे चौके और 10 गगनचुंबी छक्के लगाए थे।
2007 में टी-20 के पहले विश्वकप की घोषणा हुई तो भारतीय चयनकर्ताओं ने क्रिकेट पंडितों को हैरान करते हुए सचिन तेंडुलकर, राहुल द्रविड़ और सौरव गांगुली टीम से बाहर कर दिया और नई टीम की कमान धोनी को सौंप दी। इस तरह भारती की क़रीब-क़रीब आदी टीम ही बदल गई। धोनी के रणबांकुरों ने कमाल दिखाया और विश्वकप की ट्रॉफी जीतकर स्वदेश लौटे। इसके बाद भारतीय क्रिकेट टीम ने महेंद्र सिंह धोनी की अगुआई में 2008 में ऑस्ट्रेलिया में सीबी वनडे सीरीज, 2009 में कॉम्पैक कप, 2010 में एशिया कप, 2011 वनडे वर्ल्ड कप, 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी, 2013 में विंडीज में ट्राई सीरीज और साल 2016 में टी20 एशिया कप ट्रॉफी जीती।
वनडे क्रिकेट के सर्वश्रेष्ठ फिनिशर कहे जाने वाले धोनी की 2011 में विश्वकप के फाइनल में खेली गई पारी बेहतरीन रही। महेला जयवर्धने के अविजित 103 (88 गेंद) की बदौलत कप्तान कुमरा संगकारा ने बारत के सामने जीतने के लिए 275 रनों का लक्ष्य रखा। भारत ने जब 22 वें ओवर में 114 रनों पर विराट कोहली (35 रन) के आउट होने पर कप्तान धोनी ख़ुद 5 वें नंबर पर बल्लेबाज़ करने उतरे। हालांकि युवराज सिंह और सुरेश रैना से पहले धोनी के मैदान पर आने पर कमेंटेटरों ने हैरानी जताई थी, लेकिन धोनी ने पहले गौतम गंभीर (122 गेंद पर 97 रन) और बाद में युवराज (24 गेंद 21 रन) के साथ मिलकर धुआंधार पारी खेलते हुए भारत का दूसरी बाद विश्वकप दिलवाया। धोनी ने महज 79 गेंद पर श्र चौके और 2 गगनचुंबी छक्के की मदद से 91 रन बना डाले। धोनी की इस पारी को शिद्दत से याद किया जाता है।
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खब्बू बल्लेबाज सुरेश रैना
अपने रिटायरमेंट के ऐलान के साथ ही बाएं हाथ के आतिशी बल्लेबाज सुरेश रैना ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर तस्वीर शेयर की। इस तस्वीर के साथ ही सुरैश रैना ने लिखा, ‘माही आपके साथ खेलना अच्छा था। पूरे दिल से गर्व के साथ, मैं आपकी इस यात्रा में शामिल होना चाहता हूं। थैंक यू इंडिया। जय हिंद!’
खब्बू बल्लेबाज सुरेश रैना की बल्लेबाजी दक्षिण अफ्रीकी गेंदबाजों के लिए हमेशा सिरदर्द रही है। रैना ने अपने टी20 करियर की सर्वश्रेष्ठ पारी भी प्रोटियाज के खिलाफ 2010 में आईसीसी टी20 वर्ल्ड कप में खेली थी। रैना ने इस मैच में महज 60 गेंदों पर 9 चौके और 5 गगनचुंबी छक्के की मदद से आतिशी 101 रन की मैच जीताऊ पारी खेलकर कर सभी को हैरान कर दिया था। रैना के शतक की बदौलत ही भारत साउथ अफ्रीका के सामने 187 रनों का लक्ष्य रखने में सफल रहा।
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लक्ष्य का पीछा करने उतरी साउथ अफ्रीका टीम की ओर से जैक कालिस ने काफी संघर्ष किया लेकिन टीम को जीत की राह तक नहीं पहुंचा सके। कालिस ने महज 54 गेंदों पर 73 रन की पारी खेली और अप्रीका की टीम निर्धारित 20 ओवर में सिर्फ 172 रन ही बना सकी और भारत ने मैच 14 रनों से जीत गया। सुरेश रैना को उनकी इस शानदार पारी के लिए मैन ऑफ द मैच खिताब से नवाजा गया।
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2011 में क्वार्टर फाइनल मैच भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुआ। कंगारू कप्तान रिकी पोंटिंग ने भारत के सामने 261 रनों का टारगेट रखा। ब्रैट ली, शॉन टैट, मिशेल जॉनसन और शेन वॉटसन की खतरनाक चौकड़ी के सामने इतना रन बनाना भारत के लिए टेढ़ी खीर था। एक समय स्कोर 37.3 ओवर में 187 रन था और भारत के पांचों शीर्ष बल्लेबाज सचिन तेंडुलकर, वीरेंद्र सेहवाग, गौतम गंभीर, विराट कोहली और एमएस धोनी पैवेलियन लौट चुके थे। ऐसे में युवराज सिंह के साथ मिलकर जीत दिलाने की जिम्मेदारी रैना के कंधे पर आ गई। रैना ने ली की आग उगलती गेंद का बहादुरी से सामना किया। एक गोंद को तो सीधे लांग ऑन के उपर से बाउंड्री के बाहर भेज दिया। तेज़ गति से रन बनाते हुए रैना ने मात्र 26 बॉल पर 34 अविजित रन बनाकर युवराज (65 गेंद पर 57 रन) के साथ भारत को सेमीफाइनल में पहुंचाकर पैवेलियन लौटे।
2010 आईपीएल फाइनल में मुंबई इंडियन के खिलाफ रैना की बैटिंग को आज भी कोई नहीं भुला पाया है। रैना ने मैच में 35 गेंद पर 57 रन की पारी खेलकर चेन्नई को आईपीएल का विजेता बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। उस आतिशी पारी के लिए रैना को मैन ऑफ द मैच चुना गया। इसी तरह मई 2014 में आईपीएल में पंजाब इलेवन के खिलाफ 25 बॉल पर 87 रन की पारी खेलकर रैना ने दिखा दिया था कि छोटे फॉर्मेट के क्रिकेट वह दुनिया के सबसे खतरनाक बल्लेबाज हैं। जहां चेन्नई के बाकी बल्लेबाज लगातार आउट हो रहे थे, वहीं, रैना ने इस मैच में आईपीएल इतिहास की दूसरी सबसे तेज 50 बना दी थी और महज 16 बॉल पर फिफ्टी लगा ठोंक दिया।
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15 सला के अपने क्रिकेट करियर में सुरेश रैना ने कुल 18 टेस्ट मैच खेले हैं। जिसमें उन्होंने एक शतक के साथ 768 रन बनाए। इसके अलावा उन्होंने टीम इंडिया के लिए 226 एकदिवसीय मैच खेले। इनमें उनके नाम 5 शतक और पांच अर्धशतक हैं। रैना ने वनडे क्रिकेट में 5615 रन बनाए। इसके अलावा 78 टी-20 मैचों में एक शतक समेत 1604 रन बनाए। रैना अपने घुटने को क्रीज पर टिकाकर बल्ले का पूरा भार गेंद के पीछे ले जाकर एक खास शॉट बनाते थे जिससे गेंद सीमा रेखा के पार ही गिरती थी। सचिन तेंडुलकर ने धोनी और रैना को भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी है।
लेखक – हरिगोविंद विश्वकर्मा