‘शिव भोजन’ के लिए सरकार को 10 करोड़ रुपए देने पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने जारी किया श्री सिद्धिविनायक मंदिर ट्रस्ट को नोटिस

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संवाददाता

मुंबईः बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने एक अहम फ़ैसले में महाविकास अघाड़ी सरकार की ‘शिवभोजन’ योजना के लिए पांच करोड़ रुपए और मुख्यमंत्री राहत कोष में पांच करोड़ रुपए के योगदान देने के लिए श्री सिद्धिविनायक मंदिर ट्रस्ट और राज्य सरकार को नोटिस जारी करके अक्टूबर के पहले हफ्ते में लिखित जवाब देने का निर्देश दिया।

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श्री सिद्धिविनायक मंदिर ट्रस्ट ने इस साल 25 फरवरी को राज्य सरकार की शिवभोजन योजना और कोरोना वायरस से लड़ाई के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष में दिए गए 5-5 करोड़ रुपए का योगदान देने की घोषणा की थी। श्री सिद्धिविनायक मंदिर ट्रस्ट के फैसले को याचिकाकर्ता लीला रंगा की तरफ से अधिवक्ता प्रदीप संचेती और घनश्याम मिश्रा ने चुनौती दी है।

हालांकि हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-डेरे की पीठ ने फंड ट्रांसफर पर तत्काल रोक लगाने से इनकार किया, लेकिन याचिका को आगे सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए राज्य सरकार और श्री सिद्धिविनायक मंदिर ट्रस्ट को अक्टूबर के पहले हफ्ते में इस पर जवाब देने का निर्देश दिया है।

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खंडपीठ के सामने याचिकाकर्ता की ओर से पेश होते हुए अधिवक्ता घनश्याम मिश्रा ने हाई कोर्ट से कहा कि श्री सिद्धिविनायक मंदिर ट्रस्ट (प्रभादेवी) अधिनियम, 1980 के प्रावधानों के तहत सरकार को फंड का ट्रांसफर अवैध है। अधिवक्ता ने ट्रस्ट अधिनियम की धारा 18 का हवाला देते हुए कहा कि ट्रस्ट के धन का उपयोग मंदिर के रख-रखाव, प्रबंधन और प्रशासन के लिए किया जा सकता है। इसके अलावा इस धन का उपयोग श्रद्धालुओं के लिए रेस्टहाउस, शैक्षणिक संस्थानों, स्कूलों, अस्पतालों या डिस्पेंसरी के रखरखाव के लिए भी किया जा सकता है, लेकिन लोगों को भोजन देने के लिए इसका इस्तेमाल करना ग़लत है।

अधिवक्ता घनश्याम मिश्र ने पैरवी करते हुए कहा कि ट्रस्ट अधिनियम के तहत कानून सरकार को फंड के ट्रांसफर की अनुमति नहीं देता है। अधिवक्ता ने आगे कहा कि फंड ट्रांसफर का प्रस्ताव ट्रस्ट की ओर से नहीं, बल्कि सरकार की ओर से आया था। उन्होंने मांग की कि फंड ट्रांसफर को रोकने के लिए अंतरिम आदेश दिया जाए। हाईकोर्ट ने कोई आदेश जारी करने से इनकार करते हुए राज्य सरकार और श्री सिद्धिविनायक मंदिर ट्रस्ट को नोटिस जारी कर दिया।

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हाई कोर्ट ने सरकार के कुछ ट्रस्टियों की नियुक्ति को नए सिरे से प्रतिबंधित करने के अधिवक्ता के अनुरोध को ख़ारिज़ कर दिया, जिनकी शर्तें इस महीने समाप्त हो रही हैं। अधिवक्ता ने दावा किया कि मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष को उनकी याचिका में चुनौती के तहत तबादलों के बाद तीन साल का विस्तार मिला है।

गौरतलब है कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे ने भी शिव भोजान’ योजना के लिए पांच करोड़ रुपए का योगदान देने के श्री सिद्धिविनायक मंदिर ट्रस्ट के फ़ैसले पर अपना विरोध जताया था। शिवसेना की अगुवाई वाली महाविकास अघाड़ी सरकार ने इस साल 26 जनवरी को 71वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर राज्य में कमज़ोर तबक़े को 10 रुपये में भोजन उपलब्ध कराने की शिवभोजन योजना शुरू की था। यह योजना शिवसेना के चुनावी वादों में से एक था।

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शिव भोजन योजना के तहत सभी जिलों में निर्धारित समय पर तय भोजन केंद्र या कैंटीन में लोगों को थाली या लंच प्लेट सिर्फ 10 रुपए चुकाने पर उपलब्ध कराया जा रहा है। राज्य सरकार ने पहले तीन महीने के लिए ने 6.48 करोड़ रुपए की मंजूरी दी थी। बाद में पूरे राज्य में इस योजना को शुरू किया गया। शिव भोजन थाली में लोगों को दो चपाती, एक सब्जी, चावल और दाल शामिल मिलता है। यह थाली संबंधित केंद्रों पर दिन के 12 बजे से लेकर दो बजे तक उपलब्ध रहती है। हर जगह रोजाना कम से कम 500 शिव भोजन थालियां मिलती हैं।

अधिवक्ता धनश्याम मिश्रा

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