क्या महात्मा गांधी को सचमुच सेक्स की बुरी लत थी?

3
8352

राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी के जीवन पर हज़ारों की संख्या में पुस्तकें लिखीं गई हैं। इन किताबों में उनकी जीवन का विस्तार से वर्णन मिलता है। गांधी के साथ रहे अनगिनत लोगों ने गांधी के ‘ब्रह्मचर्य के प्रयोग’ पर भी बहुत अधिक लिखा है। इसीलिए गांधी की कथित सेक्स लाइफ़ पर बहसों का दौर चलता रहता है। गांधी के भक्त जहां उन्हें संत का दर्जा देते हैं, वहीं समय-समय पर ऐसे खुलासे होते रहते हैं, जिनसे गांधी की संत छवि को गहरा धक्का पहुंचता है। कुछ साल पहले एक राष्ट्रीय पत्रिका ने गांधी की अंतिम समय तक अनुयायी रही मनुबेन गांधी की डायरी के कुछ अंश को उद्धृत करते हुए गांधी के ब्रम्हचर्य के प्रयोग के बारे में सनसनीख़ेज़ जानकारी प्रकाशित की थी। यह राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना था।

इसे भी पढ़ें – मी नाथूराम गोडसे बोलतोय !

2014 में गांधी को कभी भगवान की तरह पूजने वाली 82 वर्षीया गांधीवादी इतिहासकार कुसुम वदगामा ने कहा था कि गांधी को सेक्स की बुरी लत थी, वह आश्रम की कई महिलाओं के साथ निर्वस्त्र सोते थे, वह इतने ज़्यादा कामुक थे कि ब्रम्हचर्य के प्रयोग और संयम परखने के बहाने चाचा अमृतलाल तुलसीदास गांधी की पोती और जयसुखलाल की बेटी मृदुला गांधी उर्फ मधुबेन गांधी के साथ सोने लगे थे। ये आरोप बेहद सनसनीख़ेज़ थे क्योंकि किशोरावस्था में कुसुम भी गांधी के साथ रही थीं। कुसुम, दरअसल, लंदन में पार्लियामेंट स्क्वॉयर पर गांधी की प्रतिमा लगाने का विरोध कर रही थी। बहरहाल, लंदन के प्रतिष्ठित अख़बार ‘द टाइम्स’ समेत दुनिया भर के अख़बारों और पत्रिकाओं में कुसुम के इंटरव्यू छपे थे।

वैसे तो महात्मा गांधी की सेक्स लाइफ़ पर अब तक अनेक किताबें लिखी जा चुकी हैं। जो ख़ासी चर्चित भी हुईं। मशहूर ब्रिटिश इतिहासकार जेड ऐडम्स ने पंद्रह साल के गहन अध्ययन और शोध के बाद 2010 में ‘गांधी नैकेड ऐंबिशन’ लिखकर सनसनी फैला दी थी। किताब में गांधी को असामान्य सेक्स बीहैवियर वाला अर्द्ध-दमित सेक्स-मैनियॉक कहा गया है। किताब राष्ट्रपिता के जीवन में आई लड़कियों के साथ उनके आत्मीय और मधुर रिश्तों पर ख़ास प्रकाश डालती है। मसलन, गांधी नग्न होकर लड़कियों और महिलाओं के साथ सोते थे और नग्न स्नान भी करते थे। मशहूर लेखिका एल्यानोर मॉर्टोन ने 1954 में प्रकाशित अपनी पुस्तक ‘वीमेन बिहाइंड महात्मा गांधी’ में भी बहुत अधिक ब्यौरा दिया है। इसी तरह चंद्रशेखर शुक्ला की 1945 में प्रकाशित किताब ‘गांधी एंड वुमेन इन’ में भी गांधी के क़रीब रहने वाली महिलाओं के बारे में गहरी जानकारी मिलता है। गांधी के साथ रहे लेखक वेद मेहता ने अपनी पुस्तक ‘महात्मा गांधी एंड हिज अपोसल’ में भी गांधी के ब्रह्मचर्य के प्रयोग पर विस्तृत प्रकाश डाला है। उनकी किताब का पहला संस्करण 1977 में छपा था।

इसे भी पढ़ें – क्यों हैं दलाई लामा चीन की आंख की किरकिरी?

देश के सबसे प्रतिष्ठित लाइब्रेरियन गिरजा कुमार ने गहन अध्ययन और गांधी से जुड़े दस्तावेज़ों के रिसर्च के बाद 2006 में “ब्रम्हचर्य गांधी ऐंड हिज़ वीमेन असोसिएट्स” में डेढ़ दर्जन महिलाओं का ब्यौरा दिया है जो ब्रम्हचर्य में सहयोगी थीं और गांधी के साथ निर्वस्त्र सोती-नहाती और उन्हें मसाज़ करती थीं। इनमें मनुबेन, आभा गांधी, आभा की बहनबेन पटेल, सुशीला नायर, प्रभावती (जयप्रकाश नारायण की पत्नी), राजकुमारी अमृतकौर, बीवी अमुतुसलाम, लीलावती आसर, प्रेमाबहन कंटक, मिली ग्राहम पोलक, कंचन शाह, रेहाना तैयबजी शामिल हैं। प्रभावती ने तो आश्रम में रहने के लिए पति जेपी को ही छोड़ दिया था। प्रभावती गांधी पर इतनी आशक्त थीं, कि उनसे दूर होने पर उन्हें दौरे पड़ने लगते थे और वह बेहोश हो जाती थीं। इस मुद्दे को लेकर जेपी का गांधी से ख़ासा विवाद हो गया था। जेपी ने पूरी ज़िंदगी गांधी को पसंद नहीं किया। बहरहाल, गांधी की मौत के बाद उनकी पत्नी प्रभावती उनके पास वापस आ गईं, लेकिन संतान पाने की जेपी की प्रबल इच्छा पूरी नहीं हो सकी।

तक़रीबन दो दशक तक महात्मा गांधी के व्यक्तिगत सहयोगी रहे निर्मल कुमार बोस ने अपनी बेहद चर्चित किताब “माई डेज़ विद गांधी” में राष्ट्रपिता का अपना संयम परखने के लिए आश्रम की महिलाओं के साथ निर्वस्त्र होकर सोने और मसाज़ करवाने का ज़िक्र किया है। 1953 प्रकाशित इस किताब में निर्मल बोस ने नोआखली की एक ख़ास घटना का उल्लेख करते हुए लिखा है, “एक दिन सुबह-सुबह जब मैं गांधी के शयन कक्ष में पहुंचा तो देख रहा हूं, सुशीला नायर रो रही हैं और महात्मा गांधी दीवार में अपना सिर पटक रहे हैं।” उसके बाद निर्मल बोस गांधी के ब्रम्हचर्य के प्रयोग का खुला विरोध करने लगे। जब गांधी ने उनकी बात नहीं मानी तो बोस ने अपने आप को उनसे अलग कर लिया। गांधी को इस मुद्दे पर भारी विरोध का सामना करना पड़ा। बहरहाल, गांधी के ही सहयोगी अमृतलाल ठक्कर उर्फ बाप्पा ठक्कर ने मनु गांधी के ज़रिए किसी तरह बापू को ब्रह्मचर्य के प्रयोग को रोकने के लिए मनाने में सफल रहे। इस का ज़िक्र 1962 मे प्रकाशित मनुबेन गांधी की किताब ‘बापूः माई मदर’ में भी मिलता है। 

इसे भी पढ़ें – पिया मेंहंदी मंगा द मोतीझील से, जाइके सायकिल से ना…

‘गांधी नैकेड ऐंबिशन’ में जेड ऐडम्स का दावा है कि लंदन में क़ानून पढ़े गांधी की इमैज ऐसा नेता की थी जो सहजता से महिला अनुयायियों को वशीभूत कर लेता था। आमतौर पर लोगों के लिए ऐसा आचरण असहज हो सकता है पर गांधी के लिए सामान्य था। आश्रमों में इतना कठोर अनुशासन था कि गांधी की इमैज 20 वीं सदी के धर्मवादी नेता जैम्स वॉरेन जोन्स और डेविड कोरेश जैसी बन गई जो अपनी सम्मोहक सेक्स-अपील से अनुयायियों को वश में कर लेते थे। ब्रिटिश हिस्टोरियन के मुताबिक गांधी सेक्स के बारे लिखना या बातें करना बेहद पसंद करते थे। इतिहास के तमाम अन्य उच्चाकाक्षी पुरुषों की तरह गांधी कामुक भी थे और अपनी इच्छा दमित करने के लिए ही कठोर परिश्रम का अनोखा तरीक़ा अपनाया। ऐडम्स के मुताबिक जब बंगाल के नोआखली में दंगे हो रहे थे तक गांधी ने मनु को बुलाया और कहा “अगर तुम मेरे साथ नहीं होती तो मुस्लिम चरमपंथी हमारा क़त्ल कर देते। आओ आज से हम दोनों निर्वस्त्र होकर एक दूसरे के साथ सोएं और अपने शुद्ध होने और ब्रह्मचर्य का परीक्षण करें।”

‘गांधी नैकेड ऐंबिशन’ में महाराष्ट्र के पंचगनी में गांधी के ब्रह्मचर्य के प्रयोग का भी वर्णन है, जहां गांधी के साथ सुशीला नायर नहाती और सोती थीं। ऐडम्स के मुताबिक गांधी ने ख़ुद लिखा है, “नहाते समय जब सुशीला मेरे सामने निर्वस्त्र होती है तो मेरी आंखें कसकर बंद हो जाती हैं। मुझे कुछ भी नज़र नहीं आता। मुझे बस केवल साबुन लगाने की आहट सुनाई देती है। मुझे कतई पता नहीं चलता कि कब वह पूरी तरह से नग्न हो गई और कब वह सिर्फ़ अंतःवस्त्र पहनी होती है।” दरअसल, जब पंचगनी में गांधी के महिलाओं के साथ नंगे सोने की बात जब फैलने लगी तो नाथूराम गोड्से के नेतृत्व में वहां विरोध प्रदर्शन होने लगा। इससे गांधी को ब्रह्मचर्य का प्रयोग बंद कर वहां से बोरिया-बिस्तर समेटना पड़ा। मज़ेदार बात यह है बाद में गांधी हत्याकांड की सुनवाई के दौरान गोड्से के विरोध प्रदर्शन को गांधी की हत्या की कई कोशिशों में से एक माना गया था। 

ऐडम्स का दावा है कि गांधी के साथ सोने वाली सुशीला, मनु, आभा और अन्य महिलाएं गांधी के साथ शारीरिक संबंधों के बारे हमेशा गोल-मटोल और अस्पष्ट बाते करती रहीं। उनसे जब भी पूछा गया तब उन्होंने केवल यही कहा कि वह सब ब्रम्हचर्य के प्रयोग के सिद्धांतों का अभिन्न अंग था। गांधी की हत्या के बाद लंबे समय तक सेक्स को लेकर उनके प्रयोगों पर भी लीपापोती की जाती रही। उन्हें महिमा-मंडित करने और राष्ट्रपिता बनाने के लिए उन दस्तावेजों, तथ्यों और सबूतों को नष्ट कर दिया गया, जिनसे साबित किया जा सकता था कि संत गांधी, दरअसल, सेक्स-मैनियॉक थे। सबसे दुखद बात यह है कि गांधी के ब्रम्हचर्य के प्रयोग में शामिल क़रीब-क़रीब सभी महिलाओं का वैवाहिक जीवन नष्ट हो गया। कांग्रेस भी स्वार्थों के लिए अब तक गांधी के सेक्स-एक्सपेरिमेंट से जुड़े सच छुपाती रही है। गांधी की हत्या के बाद मनुबेन को मुंह बंद रखने की सख़्त हिदायत दी गई। गांधी के सबसे चोटे पुत्र देवदास, जो ब्रह्मचर्य के प्रयोग के कट्टर विरोधी थे, ने मनु को गुजरात में एक बेहद रिमोट इलाक़े में भेज दिया, जहां ग़ुमनामी में ही उनकी मौत हुई। 

    

मृदुला गांधी उर्फ मधुबेन डायरी के अंश (गुजराती से हिंदी अनुवाद)

एनीमिया से पीड़ित बापू आज सुशीलाबेन के साथ नहाते वक्त बेहोश हो गए। फिर सुशीलाबेन ने एक हाथ से बापू को पकड़ा और दूसरे हाथ से कपड़े पहनाया। फिर उन्हें बाहर ले आईं। यह बात सच है कि बापू और सुशीलाबेन एक साथ नहाते थे। सुशीलाबेन उनके सामने निर्वस्त्र होती थीं। (10 नवंबर 1943, आगा खां पैलेस, पुणे)

आज रात बापू, सुशीलाबेन और मैं एक ही बिस्तर पर सोए। बापू ने मुझे गले से लगाया और प्यार से थपथपाया। बड़े प्यार से मुझे सुला दिया। उन्होंने लंबे समय बाद मेरा आलिंगन किया था। फिर बापू ने अपने साथ सोने के बावजूद यौन इच्छाओं के मामले में मासूम बने रहने के लिए मेरी प्रशंसा की। लेकिन दूसरी लड़कियों के साथ ऐसा नहीं हुआ। वीना, कंचन और लीलावती (गांधी की सहयोगी) ने कहा कि वे उनके साथ नहीं सो पाएंगी। (10 दिसंबर 1946, श्रीरामपुर, बिहार)

सुशीलाबेन ने आज मुझसे पूछा कि मैं बापू के साथ क्यों सो रही थी और कहा कि मुझे इसके गंभीर नतीजे भुगतने होंगे। उन्होंने अपने भाई प्यारेलाल से विवाह के प्रस्ताव पर मुझसे फिर विचार करने को कहा। मैंने उनसे कहा कि मुझे प्यारेलाल में कोई दिलचस्पी नहीं है। (26 दिसंबर 1946. श्रीरामपुर, बिहार)

सुशीलाबेन मुझे अपने भाई प्यारेलाल से शादी करने के लिए कह रही हैं। उन्होंने मुझसे कहा कि अगर मैं उनके भाई से शादी कर लूं तो वे नर्श बनने में मेरी मदद करेंगी। लेकिन मैंने उन्हें साफ मना कर दिया और सारी बातें बापू को बता दी। बापू ने मुझसे कहा कि सुशीला अपने होश में नहीं है। उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले तक वो उनके सामने बिना कपड़े पहने ही नहाती थी और उनके साथ सोया भी करती थी। लेकिन, अब उन्हें मेरा सहारा लेना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि मैं हर मामले में निष्कलंक रहूं और ब्रह्मचर्य के प्रयोग के मामले में धीरज बनाए रखूं। (01 जनवरी 1947, कथुरी, बिहार)

बापू ने सुबह की प्रार्थना के दौरान अपने अनुयायियों को बताया कि वे मेरे साथ ब्रह्मचर्य के प्रयोग कर रहे हैं। फिर उन्होंने मुझे समझाया कि सबके सामने ये बात क्यों कही। मुझे बहुत राहत महसूस हुई क्योंकि अब लोगों की जुबान पर ताले लग जाएंगे। मैंने अपने आप से कहा कि अब मुझे किसी की परवाह नहीं है। दुनिया को जो कहना है कहती रहे। (02 फरवरी 1947, दशधारिया, बिहार)

ब्रिटिश इतिहासकार के मुताबिक गांधी के ब्रह्मचर्य के चलते जवाहरलाल नेहरू उनको अप्राकृतिक और असामान्य आदत वाला इंसान मानते थे। सरदार पटेल और जेबी कृपलानी ने उनके व्यवहार के चलते ही उनसे दूरी बना ली थी। गिरिजा कुमार के मुताबिक पटेल गांधी के ब्रम्हचर्य को अधर्म कहने लगे थे। यहां तक कि पुत्र देवदास गांधी समेत परिवार के सदस्य और अन्य राजनीतिक साथी भी ख़फ़ा थे। बीआर अंबेडकर, विनोबा भावे, डीबी केलकर, छगनलाल जोशी, किशोरीलाल मश्रुवाला, मथुरादास त्रिकुमजी, वेद मेहता, आरपी परशुराम, जयप्रकाश नारायण भी गांधी के ब्रम्हचर्य के प्रयोग का खुला विरोध कर रहे थे। प्रसिद्ध साहित्यकार आर्थर कोइस्लर ने 1949 में प्रकाशित अपनी किताब ‘द लोटस एंड रोबो’ में गांधी के ब्रह्मचर्य की तीव्र आलोचना की थी। ब्रह्मचर्य के प्रयोग में गांधी के साथ सोने वाली प्रेमा बहन कंटक की डायरी के कुछ हिस्सा ‘प्रसाद दीक्षा’ नाम से मराठी भाषा में 1938 प्रकाशित हो गए। डायरी में उन्होंने लिखा है कि गांधी जी ने स्वीकार किया था कि ब्रह्मचर्य के प्रयोग के दौरान एक बार गांधी जी नियंत्रण और आत्मविश्वास खो बैठे और स्खलित हो गए थे। इस किताब को लेकर भारी विवाद हुआ था।

इसे भी पढ़ें – ठुमरी – तू आया नहीं चितचोर

गांधी की सेक्स लाइफ़ पर लिखने वालों के मुताबिक सेक्स के जरिए गांधी अपने को आध्यात्मिक रूप से शुद्ध और परिष्कृत करने की कोशिशों में लगे रहे। नवविवाहित जोड़ों को अलग-अलग सोकर ब्रह्मचर्य का उपदेश देते थे। रवींद्रनाथ टैगोर की भतीजी विद्वान और ख़ूबसूरत सरलादेवी चौधरी से गांधी का संबंध तो जगज़ाहिर है। हालांकि, गांधी यही कहते रहे कि सरला उनकी महज ‘आध्यात्मिक पत्नी’ हैं। गांधी डेनमार्क मिशनरी की महिला इस्टर फाइरिंग को भी भावुक प्रेमपत्र लिखते थे। इस्टर जब आश्रम में आती तो वहां की बाकी महिलाओं को जलन होती क्योंकि गांधी उनसे एकांत में बातचीत करते थे। किताब में ब्रिटिश एडमिरल की बेटी मैडलीन स्लैड से गांधी के मधुर रिश्ते का जिक्र किया गया है जो हिंदुस्तान में आकर रहने लगीं और गांधी ने उन्हें मीराबेन का नाम दिया। इसी तरह गांधी के साथ लंबे समय तक रहीं नीला क्रैम कुक खुद को गोपी और गांधी को कृष्ण मानती थीं, इसका ज़िक्र उन्होंने 1934 में प्रकाशित अपनी किताब ‘माई रोड टू इंडिया’ में किया है।  

वैसे गांधी पर भारत सरकार ने ‘कलेक्टेड वर्क्स ऑफ महात्मा गांधी’ नाम से पूरे दस्तावेज को 1958 में प्रकाशिक किया और 1994 तक इसके कुल 100 खंड प्रकाशित हुए। इसके अलावा सर्व सेवा संघ प्रकाशन राजघाट वाराणसी ने 1970 में गांधी के निजी सचिव महादेव देसाई की पूरी डायरी को ‘डे टू डे विद गांधीः सेकेटरीज डायरी’ को 10 खंड प्रकाशित किया है, जिसमें महादेव के निधन से पहले तक की तमाम घटनाओं का दैनिक आधार पर सच्चा वर्णन मिलता है। मशहूर लेखक राबर्ट पेन ने ‘द लाइफ एंड डेथ ऑफ महात्मा गांधी’ नाम से गांधी की संपूर्ण जीवनी लिखी, जो 1969 में प्रकाशित हुई। आठ खंडों में गांधी की जीवनी ‘महात्मा: लाइफ़ ऑफ़ मोहनदास कर्मचन्द गाँधी’ नाम की किताब लेखक दीनानाथ गोपाल तेंदुलकर ने लिखी थी जो 1951 में छपी। इस किताब में गांधी के जीवन का सचित्र वर्णन है। अब तक जो फोटो प्रकाशित किए जाते हैं, सब के सब इसी किताब से लिए जाते हैं। अमेरिकी पत्रकार लुई फिशर ने ‘दि लाइफ ऑफ महात्मा’ नाम से किताब लिखा जो 1951 में प्रकाशित हुई और उस पर गांधी फिल्म बनी थी, जिसे आस्कर पुरस्कार मिला था। अलेक्जेंडर होरेस ने भी 1984 में प्रकाशित अपनी किताब ‘गांधी थ्रू क्रिटिकल आइज’ में काफी कुछ लिखा है। 

अपने इंटरव्यू में कभी महात्मा गांधी के सिद्धांतों पर चलाने वाली कुसुम ने उनकी निजी ज़िंदगी पर विवादास्पद बयान देकर हंगामा खड़ा कर दिया था। कुसुम ने कहा था, “बड़े लोग पद और प्रतिष्ठा का हमेशा फायदा उठाते रहे हैं। गांधी भी इसी श्रेणी में आते हैं। देश-दुनिया में उनकी प्रतिष्ठा की वजह ने उनकी सारी कमजोरियों को छिपा दिया। वह सेक्स के भूखे थे जो खुद तो हमेशा सेक्स के बारे में सोचा करते थे लेकिन दूसरों को उससे दूर रहने की सलाह दिया करते थे। यह घोर आश्चर्य की बात है कि धी जैसा महापुरूष यह सब करता था। शायद ऐसा वे अपनी सेक्स इच्छा पर नियंत्रण को जांचने के लिए किया करते हों लेकिन आश्रम की मासूम नाबालिग बच्चियों को उनके इस अपराध में इस्तेमाल होना पड़ता था। उन्होंने नाबालिग लड़कियों को अपनी यौन इच्छाओं के लिए इस्तेमाल किया जो सचमुच विश्वास और माफी के काबिल बिलकुल नहीं है।” कुसुम का कहना था कि अब दुनिया बदल चुकी है। महिलाओं के लिए देश की आजादी और प्रमुख नेताओं से ज्यादा जरूरी स्वंय की आजादी है। गांधी पूरे विश्व में एक जाना पहचाना नाम है इसलिए उन पर जारी हुआ यह सच भी पूरे विश्व में सुना जाएगा।

इसे भी पढ़ें – ‘वंदे मातरम्’ मत बोलें, पर शोर भी न मचाएं कि ‘वंदे मातरम’ नहीं बोलेंगे..

दरअसल, महात्मा गांधी हत्या के 72 साल गुज़र जाने के बाद भी गांधी हमारे मानस-पटल पर किसी संत की तरह उभरते हैं। अब तक बापू की छवि गोल फ्रेम का चश्मा पहने लंगोटधारी बुजुर्ग की रही है जो दो युवा-स्त्रियों को लाठी के रूप में सहारे के लिए इस्तेमाल करता हुआ चलता-फिरता है। आख़िरी क्षण तक गांधी ऐसे ही राजसी माहौल में रहे। मगर किसी ने उन पर उंगली नहीं उठाई। कुसुम के मुताबिक दुनिया के लिए गांधी भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के आध्यात्मिक नेता हैं। अहिंसा के प्रणेता और भारत के राष्ट्रपिता भी हैं जो दुनिया को सविनय अवज्ञा और अहिंसा की राह पर चलने की प्रेरणा देता है। कहना न भी ग़लत नहीं होगा कि दुबली काया वाले उस पुतले ने दुनिया के कोने-कोने में मानव अधिकार आंदोलनों को ऊर्जा दी, उन्हें प्रेरित किया।

लेखक – हरिगोविंद विश्वकर्मा

इसे भी पढ़ें – कहानी – एक बिगड़ी हुई लड़की

3 COMMENTS