दक्षिण एशिया में नरसंहार के लिए पाकिस्तान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में मुकदमा चलाने पर जोर

0
2079

नरसंहार के ख़िलाफ़ अंतरराष्ट्रीय गठबंधन बनाने की घोषणा

नई दिल्ली। यूरोप समेत कई देशों के प्रमुख बुद्धिजीवियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने दक्षिण एशिया में ख़ून-खराबे के लिए पाकिस्तान को ज़िम्मेदार ठहराते हुए इस्लामाबाद के ख़िलाफ़ अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice) में नरसंहार का मुकदमा चलाने की मांग की और इस अवसर पर जम्मू-कश्मीर यूनिटी फाउंडेशन (Jammu and Kashmir Unity Foundation) ने इस इलाके में नरसंहार की रोकथाम के लिए अंतरराष्ट्रीय गठबंधन बनाने की अपनी मंशा की घोषणा की है।

इंडिया इंटरनेशनल सेंटर(India International Centre), नई दिल्ली में आयोजित 28 जनवरी को अंतरराष्ट्रीय आहुति स्मरण दिवस (Holocaust Remembrance Day) पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में शामिल वक्ताओं ने पाकिस्तान को ‘नरसंहार करने वाले राष्ट्र’ के रूप परिभाषित करते हुए कहा कि भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, बलूचिस्तान और अफगानिस्तान समेत पूरे भारतीय उपमहाद्वीप कत्लेआम कर रहा है। पाकिस्तान आतंकवादियों को पैदा करने वाला देश है और दुनिया भर में होने वाले हर आतंकवादी गतिविधि में इस्लामाबाद की प्रत्यक्ष भूमिका होती है।

बलूचिस्तान नीति पर भारत को विचार करने की जरूरत

वक्ताओं में ब्रिटेन के संसद सदस्य बॉब ब्लैकमैन (Bob Blackman, MP, United Kingdom Parliament), पत्रकार और लेखक फ्रेंकोइस गौटियर, बांग्लादेश की डॉ. नुजहत चौधरी, पनून कश्मीर के अध्यक्ष अजय च्रुंगू, चेयरमैन, के फाइल्स के लेखक बशीर असद, बलूचिस्तान इन क्रॉसेहेयर्स ऑफ हिस्ट्री की लेखक संध्या जैन और जम्मू-कश्मीर यूनिटी फाउंडेशन अजात जामवाल समेत कई प्रमुख लोग शामिल थे।

गोष्ठी में ऑनलाइन शिरकत करते हुए बॉब ब्लैकमैन ने स्पष्ट रूप से कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोग पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के शिकार रहे हैं। राज्य से अनुच्छेद 370 और 35 ए को हटाए जाने के बाद वहां वंचित तबक़े के अधिकारों को बहाल करने में सफलता मिली है। उन्होंने भारत सरकार के इस ऐतिहासिक क़दम की प्रशंसा की। ब्लैकमैन ने कहा कि ब्रिटेन आधिकारिक रूप से अंतरराष्ट्रीय आहुति स्मरण दिवस मनाता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि खून-खराबे के पीड़ित लोगों और सही ढंग से सोतने वाले लोगों को खून-खराबे से लड़के के लिए एक साथ आना चाहिए। उन्होंने गोष्ठी में न प्रत्यक्ष रूप से न पहुंच पाने के लिए खेत जताया।

इसे भी पढ़ें – क्या हैं पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के हालात ?

बांग्लादेश से की मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ. नुजहत चौधरी ने कहा कि उनका देश इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ पाकिस्तान के हाथों नरसंहार का सबसे अधिक शिकार हुआ है। पाकिस्तानी सेना ने 1971 में हिंदुओं या मुसलमानों के बीच अंतर किए बिना एक तरफ बांग्लादेशियों की हत्या की। उन्होंने इस बात पर दुख का इजहार किया कि पाकिस्तानी सेना ने बंगला नागरिकों को मार डाला। बांग्लादेशी पुरुषों और महिलाओं को खत्म करना ही उनका उद्देश्य था। डॉ. नुजहत चौधरी (Dr. Nuzhat Choudhury) ने कहा कि उनका संगठन बांग्लादेश के नागरिकों पर नरसंहार करने वाले अपराधियों को लाने के लिए काम कर रहा है और हम लोग तब तक चुपचाप नहीं बैठेंगे, जब तक कि पाकिस्तानी सेना के जनरलों के ख़िलाफ़ नरसंहार के लिए मुकदमा नहीं चलाया जाता। डॉ. चौधरी ने नरसंहार की रोकथाम के लिए अंतरराष्ट्रीय गठबंधन बनाने के विचार का समर्थन किया।

पुनून कश्मीर के डॉ. अजय चुरंगू (Dr. Ajay Chrungoo) ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों के हाथों कश्मीरी हिंदुओं की दुर्दशा की डरावनी कहानियां सुनाई, जिसने भुक्तभोगी वह और उनके संबंधी रहे। उन्होंने कहा कि नरसंहार से इनकार करना भी एक तरह का नरसंहार ही है। उन्होंने नरसंहार की रोकथाम के लिए भारत सरकार से कानून बनाने का आग्रह किया। नितिन अनंत गोखले ने 1971 में बांग्लादेश में पाकिस्तानी सेना के अत्याचारों का बहुत विस्तार से विवरण प्रस्तुत किया और बताया कि एक विदेशी पत्रकार ने किस तरह तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) में नरसंहार का खुलासा किया था। इसके बाद ही पूरी दुनिया का ध्यान पूर्वी पाकिस्तान की ओर गया था। अपने संबोधन में फ्रेंकोइस गौटियर ने कश्मीरी हिंदुओं, बांग्लादेश और पाकिस्तान के नरसंहार की विस्तृत चर्चा की। इसी तरह संध्या जैन ने बलूचिस्तान में पाकिस्तान सेना द्वारा बलूच नागरिकों के उत्पीड़न की दास्तां सुनाई। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का सबसे बड़ा और सबसे अधिक संसाधन संपन्न प्रांत बलूचिस्तान में लोगों के क़त्लेआम को वह सुर्खियां नहीं मिली, जितनी ज़रूरत थी। पाकिस्तान के इस कथित हिस्से में मानवाधिकार के गंभीर हनन और बलूच जनता, खासकर युवकों का नरसंहार अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों से हमेशा ही दूर रहा।

इसे भी पढ़ें – सिर काटने वाली पाशविक-प्रवृत्ति के चलते वाकई संकट में है इस्लाम

बशीर असद ने जम्मू-कश्मीर में दोनों ओर के लोगों की दास्तां सुनाई। उन्होंने कहा कि विघटनकारी तत्वों से कठोरता से निपटने की ज़रूरत है। जम्मू कश्मीर यूनिटी फाउंडेशन के अध्यक्ष अजात जामवाल ने कहा कि 60 लाख यहूदियों और आर्मेनियाई नागरिकों के नरसंहार की याद में अंतरराष्ट्रीय आहुति स्मरण दिवस मनाया जाता है। लेकिन संयुक्त राष्ट्रसंघ ने भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान और जम्मू-कश्मीर में नरसंहारों के बावजूद पाकिस्तान को नरसंहार करने वाले देश के रूप में चिन्हित नहीं किया। उन्होंने कहा कि जल्द ही जेके यूनिटी फाउंडेशन समान विचार के लोगों और राष्ट्रों के साथ मिलकर अंतरराष्ट्रीय नरसंहार निवारण के लिए अंतरराष्ट्रीय गठबंधन बनाने की पहल करेगा। डॉ. गोपाल पार्थसारथी शर्मा ने अतिथि का स्वागत किया और गोष्ठी का संचालन किया। गोष्ठी में प्रमुख रूप से रोमानिया दूतावास की एलेना बिस्टियू , डॉ. विजय सागर धिमान, कर्नल राकेश ऐमा, सुशील पंडित, एसपी स्लैथिया, डॉ. मोनिका लांगेह, डॉ. पवन दत्ता, विक्रम सिंह जसरोटिया एडवोकेट गौतम सिंह और अमित गुप्ता समेत बड़ी संख्या में लोग भी शामिल हुए।

संपूर्ण रामायण पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें