संघर्षों का सफर रहा है संजय दत्त का जीवन

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हिंदी सिनेमा में अपने करीब चार दशक के करियर में शानदार अभिनय करने वाले संजय दत्त का जीवन सफ़र ही संघर्ष का सफ़र रहा है। जब-जब लगा कि ज़िंदगी पटरी पर आ रही है। सब कुछ ठीक हो रहा है। तब-तब संजय को गाहे-बगाहे ऐसी परिस्थितियों से जूझना पड़ा कि जीवन का समीकरण ही बिगड़ गया। चाहे वह 1982 का दौर रहा हो या फिर 1993 का दौर। संजय दोनों दौर को बिल्कुल याद नहीं करना चाहेंगे। अब जब लगा कि संजय हर तरह के विवाद से उबरकर बतौर अभिनेता लंबी पारी खेलने जा रहे हैं, तभी उनके जीवन का तीसरा संघर्ष शुरू हो गया। 11 अगस्त 2020 को ख़बर आई कि मुन्नाभाई को कैंसर ने डंस लिया। उनका लंग कैंसर फ़िलहाल थर्ड स्टेज में था और डॉक्टरों का मानना है कि संजय दत्त ने कैंसर को हरा दिया।

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हालांकि पहली बार संजय मानसिक रूप से सदमे में तब आए जब बतौर अभिनेता वह अपना फिल्मी सफ़र शुरू करने जा रहे थे। ‘रॉकी’ फिल्म की शूटिंग चल ही रही थी कि उन्हें अगस्त 1980 में सूचना मिली कि उनकी मां नरगिस को पेन्क्रिया में कैंसर है। दरअसल, राज्य सभा के अधिवेशन के दौरान नरगिस को 2 अगस्त 1980 को बुखार हुआ और उसकी जांच कराने पर कैंसर होने का पता चला। यह संजय का दुर्भाग्य रहा कि उनकी मां उन्हें रूपहले परदे पर अभिनय करते नहीं देख सकीं। दरअसल, संजय की फिल्म के रिलीज होने से तीन दिन पहले 2 मई 1981 को न्यूयॉर्क में उपचार के दौरान नरगिस का निधन हो गया। उसके कुछ दिन बाद ही संजय की रॉकी रिलीज हुई।

संजय बलराज दत्त उर्फ संजू बाबा शुरुआती असफलता के बाद समर्थ अभिनेता बन गए। ख़ासकर नाम की सफलता के बाद तो उन्होंने अभिनय के सफ़र में पीछे मुड़कर देखा ही नहीं। कोई उन्हें प्यार से संजू बाबा बुलाता है तो कोई डेडली दत्त कहता है। उनके फैन्स तो उन्हें मुन्ना भाई ही कहकर पुकारते हैं। वह सीधे पॉलिटिक्स में तो नहीं उतरे, हां, अपनी बहन समेत कई राजनेताओं का चुनाव प्रचार ज़रूर कर चुके हैं। फिल्म ‘ख़लनायक’ में ख़लनायक का रोल निभाने वाले संजय को शरीफ़ बाप की बिगड़ैल औलाद भी कहा जाता है। हालांकि उनका बल्लू का किरदार आज भी सभी के ज़ेहन में ताजा है और फिल्म का गाना चोली के पीछे क्या है गली-गली में चर्चित हुआ।

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संजय दत्त सबसे ज़्यादा चर्चा में तब रहे जब 1993 के मुंबई बम ब्लास्ट में उनका नाम आया। जब ख़बर आई कि बम ब्लास्ट में सुनील दत्त का बेटा भी शामिल है तो किसी को यक़ीन नहीं हुआ। उस वक़्त संजय मॉरीशस में थे। बहरहाल, वहां वापस आते ही एयरपोर्ट पर उन्हें टाडा के तहत के तहत गिरफ्तार कर लिए गए। उन्हें जेल से बाहर आने में दो साल लग गए। अप्रैल 1995 में उन्हें ज़मानत मिली। परंतु जुलाई 2007 में छह साल की सश्रम सजा हुई। बाद में सर्वोच्य न्यायालय ने सज़ा की अवधि पांच साल कर दी।

संजय दत्त 1980 के दशक के उत्तरार्ध में ऋचा शर्मा को दिल दे बैठे और ने 1987 में उनसे विवाह कर लिया। अगले साल संजय-रिचा की बेटी त्रिशाला का जन्म हुआ। लेकिन रिचा की ब्रेन ट्यूमर के चलते 1996 में निधन हो गया। त्रिशला नाना-नानी के साथ अमेरिका में ही रहती है। संजय दत्त का दूसरा विवाह मॉडल रिया पिल्लई से 1998 में हुआ, लेकिन सात साल बाद यानी 2005 में उनका तलाक हो गया। रिया बाद में टेनिस स्टार लिएंडर पेस के साथ रहीं, बाद में उनसे भी ब्रेकअप हो गया। संजय ने दो वर्ष अफेयर के बाद 2008 में गोवा में दिलनवाज़ शेख उर्फ मान्यता के साथ विवाह कर लिया। दो साल बाद वह जुड़वा बच्चों के पिता बने। लड़के का नाम शहरान और लड़की का नाम इक़रा रखा गया है।

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अभिनय संजय को विरासत में मिली। वह मशहूर अभिनेता-राजनेता सुनील दत्त एवं अपने दौर की महान अभिनेत्री नर्गिस के पुत्र हैं। उनकी दो बहनें प्रिया और नम्रता हैं। संजय की शिक्षा कसौली के पास लॉरेंस स्कूल सनावर में हुई। उनके माता-पिता और छोटी बहन प्रिया संसद सदस्य रहे। संजय ने रूपहले परदे पर नायक, प्रेमी, कॉमेडियन, अपराधी, ठग और पुलिस अधिकारी का शानदार ढंग से किरदार निभा चुके हैं। कह सकते हैं कि संजय दत्त को एक्शन और कॉमेडी से लेकर रोमांस तक का रोल सूट करता है। उनके ‘चलने’ के अंदाज के आज भी लाखों दीवाने हैं।

संजय को एक समर्थ अभिनेता के साथ साथ ड्रग्स लेने के कारण उनके विवादित कार्यों मादक पदार्थों के सेवन के लिए जाना जाता है। उन्हें 1982 में अमेरिका में अवैध मादक पदार्थ रखने के आरोप में पांच महीने की सज़ा की सजा हुई थी। जेल से निकलने के बाद वह 2 साल टेक्सास के रेहैब क्लिनिक में गुजरा। बाद में संजय भारत लौटे और अपना अभिनय सफर फिर से शुरू किया।

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अभिनय की शुरुआत संजय दत्त ने 13 साल की उम्र से ही शुरू कर दी थी। 1972 में अपने पिता की फिल्म रेशमा और शेरा में संजय कवाली गायक के रूप में दिखाई दिए। हालांकि उनका बतौर अभिनेता उनका फिल्मी सफ़र रॉकी से हुआ। उस समय दो अभिनेता-पुत्रों का फिल्म डेब्यू हुआ था। राजेंद्र कुमार ने अपने बेटे कुमार गौरव को लॉन्च करने के लिए विजेता पंडित को लेकर लवस्टोरी बनाई। जबकि सुनील दत्त के बेटे संजय और टीना मुनीम (आजकल टीना अंबानी) की रॉकी फिल्म का निर्देशन किया। लव स्टोरी फिल्म सुपरहिट रही, जबकि रॉकी फ्लॉप हो गई।

अगले साल संजय साल की सुपरहिट फिल्म विधाता में नज़र आए। 1983 में उनकी फ़िल्म मैं आवारा हूँ, और 1985 में जान की बाज़ी प्रदर्शित हुई। अगले साल तीन फिल्मों में लीड रोल किया। हालांकि नाम में उनके अभिनय का तारीफ़ फिल्म समीक्षकों ने खूब की। 1987 में रिलीज उनकी फिल्म ईमानदार का गाना और इस दिल मे क्या रखा है, तेरा ही दर्द छुपा रखा है… आज भी दिल के मारो का दिल टच करती है। उसी साल संजय की कुल चार फिल्मे रिलीज हुई। 1988 में महेश भट्ट की फ़िल्म कब्ज़ा में उनके अभिनय की फिर तारीफ हुई। 1989 में बनी जेपी दत्ता की हथियार में भी संजय दत्त ने यादगार अभिनय किया।

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1989 से 1999 के बीच संजय की अनगिनत फिल्में आईं। लेकिन उसे पहली बार समर्थ अभिनेता के रूप में मान्यता मिली 1999 में रिलीज ‘वास्तb’ से। वास्तव के लिए उन्हें पहला फ़िल्म फेयर पुरस्कार मिला। संजय दत्त की सुपरहिट फिल्म आई 2006 में मुन्नाभाई एमबीबीएस। उन्हें उनके मुन्ना भाई के अभिनय के लिए विभिन्न पुरस्कारों सहित भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह से भी पुरस्कार मिला। उसी साल उनकी फिल्म ‘लगे रहो मुन्नाभाई’ में उनकी गांधीगिरी काफी पसंद की गई। इसके बाद आईं उनकी फिल्मों को उतनी चर्चा नहीं मिली। 2013 में सुप्रीम कोर्ट के सजा बरकरार रखने पर उन्हें जेल जाना पड़ा। संजय ने अपनी सज़ा पुणे के यरवदा जेल में काटी। और चार-पांच साल वह फिल्मों से दूर रहे, लेकिन उनकी फिल्में रिलीज होती रहीं। 2016 में हालांकि अच्छे व्यवहार के आधार उन्हें सज़ा पूरी होने से पहले ही रिहा कर दिया गया और अभिनय की सिलसिला फिर शुरू हुआ।

संजय दत्त के जीवन पर आधारित एक बायोपिक फिल्म ‘संजू’ बनाया गया है,[36] जिसमें रणबीर कपूर ने प्रमुख भुमिका निभाई है। फ़िल्म 29 जून 2018 को प्रदर्शित हुई। महेश भट्ट के निर्देशन में बनी संजय ‘सड़क 2’ ओटीटी प्लेटफॉर्म पर 12 अगस्त 2020 को रिलीज हो गई। इसमें संजय दत्त के साथ पूजा भट्ट, आलिया भट्ट और आदित्य कपूर हैं।

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कुछ दिन पहले संजय दत्त को सांस लेने में तकलीफ हुई थी। वह एहतियातन लीलावती अस्पताल में भर्ती हुए और कोरोना टेस्ट करवाया। कोरोना टेस्ट तो निगेटिव आया लेकिन इस जांच रिपोर्ट में उन्हें फेफड़े के कैंसर का पता चला। कैंसर तीसरी स्टेज पर था। बहरहाल, संजय को इलाज के बाद डॉक्टरों ने कैंसर फ्री घोषित कर दिया। उनके चाहने वाले उम्मीद कर रहे हैं कि स्वस्थ होने के बाद संजय अब रूपहले परदे पर वापस लौटेंगे।

लेखक हरिगोविंद विश्वकर्मा

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