तेरे मेरे बीच में कैसा है ये बंधन अनजाना… ओ हो आपड़िया…

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हमारा इतिहास मोहब्बत की कहानियों से भरा पड़ा है। इन कहानियों पर आए दिन फ़िल्मे बनती रहती है और हिट होती रहती थी। भारतीय सिनेमा में पहली बार 1981 में दुखांत प्रेम कहानी पर आधारित ‘एक दूजे के लिए’ जैसी सुपरहिट फिल्म आई थी, जिसमें एक दूसरे की भाषा न जानने वाले युवक और युवती की कहानी थी। दरअसल, गोवा में रहने वाली उत्तर भारतीय लड़की सपना और दक्षिण भारतीय ब्राह्मण वासु के बीच प्यार हो जाता है। सपना तमिल नहीं समझती थी और वासु को हिंदी नहीं आती थी। लेकिन दोनों प्यार की भाषा बख़ूबी समझते थे। यही इस फिल्म की भारी सफलता का फंडा था। यह समर्थ अभिनेत्री रति अग्निहोत्री और दक्षिण भारतीय सुपर स्टार कमल हासन की पहली हिंदी फिल्म थी।

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दरअसल, फ़िल्म की चर्चा अभी नहीं, अभी तो चर्चा उस गाने की, जिसे गाने वाले की आवाज़ हिंदी संगीतप्रेमियों ने पहली बार सुना तो सुनते ही मुग्ध हो गए थे। इस फिल्म का गाना तेरे मेरे बीच में कैसा है ये बंधन अनजाना जब स्वर सामग्री की ख़ूबसूरत आवाज़ में शुरू होता है तो एक अंतरे के बाद पुरुष आवाज़ में ओ हो, आपड़िया और फिर तीसरे अंतरे का बाद ए तुमी रोंबा-रोंबा, सुनने को मिलता है। लोग पहली बार यह आवाज़ सुन रहे थे। यह खनकती आवाज़ बेजोड़ थी। तमिल के उन चंद शब्दों के प्रयोग के चलते गाना कर्णप्रिय और यादगार हो गया।

वस्तुतः मुकेश और मोहम्मद रफ़ी जैसे कालजयी गायकों के असवान के बाद हिंदी सिनेमा प्रेमी किशोर कुमार, महेंद्र कपूर और मन्ना डे की आवाज़ में ही हिंदी गाने सुनने की आदी थे। इसीलिए जब लोगों ने एक दूजे के लिए में एकदम नई खनकती आवाज़ सुनी तो उनकी जिज्ञासा बढ़ गई। लोगों को पता चला कि वह आवाज़ किसी की नहीं बल्कि दक्षिण भारतीय गायक एसपी बालसुब्रमण्यम की है तो, लोग बालसुब्रमण्यम के दीवाने से हो गए। उनकी नई आवाज़ के चलते एक दूजे के लिए ने सफलता के कई कीर्तिमान बना डाले।

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निर्देशक बालाचंदर की तेलुगू की रीमेक फ़िल्म ‘एक दूजे के लिए’ के शेष चारों गाने भी उतने ही लोकप्रिय हैं। पहला बालसुब्रमण्यम और अनुराधा पौडवाल की आवाज़ में मेरे जीवन साथी, दूसरा बालसुब्रमण्यम की सोलो आवाज़ में तेरे मेरे बीच में, तीसरा लता और बालसुब्रमण्यम की आवाज़ हम बने तुम बने और चौथा लता और बालसुब्रमण्यम की ही आवाज़ में रिकॉर्ड हम तुम दोनों जब मिल जाएंगे सुपर-डुपर हिट हुए। अस्सी के दशक की शुरुआत में ये गाने गली-गली में बजने लगे थे। यहर उम्र के लोग इन गानों को बड़े चाव से सुन रहे थे।

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आंध्रप्रदेश की पन्‍नार नदी के किनारे बसे ख़ूबसूरत शहर नैल्‍लोर के सिम्हापुरी में 4 जून 1946 को जन्मे गायक, अभिनेता, संगीतकार और फ़िल्म निर्माता श्रीपति पंडितराध्युल बालसुब्रमण्यम (SP Balasubrahmanyam) आज हिंदी ही नहीं कई भाषाओं के गायक थे। उनके पिता एसपी संबामूर्ति हरिकथा कलाकार थे जो तेलुगु नाटकों में अभिनय के लिए जाने जाते थे। एसपी ने इंजीनियंरिंग की पढ़ाई की। इसी दौरान उन्होंने संगीत की शिक्षा भी ली। एसपी की पत्नी का नाम सावित्री है। उनके दो बच्चे हैं। एक बेटी पल्लवी और दूसरा बेटा चरण। एसपी का बेटा चरण भी प्लेबैक सिंगर और फिल्म प्रोड्यूसर है।

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एसपी ने 15 दिसंबर, 1966 को तेलुगु फिल्म ‘श्री श्री मर्यादा रमन्ना’ से गाने की शुरुआत की। उन्हें एसपीबी और बालू नाम से भी जाना जाता था। उनको तेलुगू, तमिल, कन्नड़ और हिंदी गानों के लिए छह बार सर्वश्रेष्ठ गायक के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार दिया गया और उन्होंने 25 बार तेलुगू सिनेमा में नंदी पुरस्कार भी जीता। उन्हें भारत सरकार की ओर से 2001 में पद्मश्री और 2011 में पद्मभूषण पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। अपनी दमदार आवाज़ के दम पर लाखों संगीतप्रेमियों को दीवाना बनाने वाले 74 साल के एसपी बालासुब्रह्मण्यम ने हिंदी फिल्मों की गायिकी में भी अपनी एक अलग पहचान स्थापित की थी।

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1989 में आई सलमान ख़ान-भाग्यश्री स्टारर की सुपरहिट फिल्म ‘मैंने प्यार किया’ में सलमान ख़ान के सभी गाने बालासुब्रह्मण्यम की आवाज़ में रिकॉर्ड किए गए और सभी गाने सुपरहिट हुए। मजेदार बात यह रही की पहले सलमान के लिए फ़िल्म बनाने वाले निर्माताओं ही नहीं बल्कि निर्देशकों को भी आशंका थी कि सुब्रमण्यम की आवाज़ सलमान जैसे युवा अभिनेता पर जंचेगी या नहीं। हालांकि जब मैंने प्यार किया, हम आपके हैं कौन जैसी फ़िल्मों के गाने हिट होने लगे तो यह आशंका ग़लत साबित हो गई। उसके बाद उन्होंने सलमान के करियर के शुरुआती दिनों के सभी गाने गाने लगे।

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कई साल तक उन्हें सलमान की आवाज़ के तौर पर भी जाना जाता रहा। सलमान के साथ ही साथ उन्हें साउथ सुपरस्टार कमल हासन की भी आवाज माना जाता था। हालांकि इसके बाद भी बालासुब्रह्मण्यम ने कई हिंदी फिल्मों में विभिन्न सितारों के लिए अपनी आवाज दी, जो हिट साबित हुआ। करीब 15 साल तक हिंदी फिल्मों से दूर रहने के बाद 2013 में उन्होंने शाहरुख ख़ान की फिल्म ‘चेन्नई एक्सप्रेस’ में गाना गाया। एसपी ने  ‘पत्थर के फूल’, ‘हम आपके हैं कौन’, ‘लव’ और ‘रोजा’ जैसी पॉपुलर फिल्मों के गाने भी गाए।

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माना जाता है कि बालासुब्रह्मण्यम ने अब तक पांच दशक के अपने गायन करियर में करीब 16 भाषाओं में 40 हजार से ज़्यादा गाने गा चुके हैं। उन्होंने 8 फरवरी को नया रिकॉर्ड बनाते हुए 12 घंटे में 21 गाने की रिकॉर्डिंग करवाई। दरअसल, उन्होंने सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक कन्नड़ भाषा में कुल 21 गाने गाए और उनकी रिकॉर्डिंग भी हुई। इसके अलावा उन्होंने एक दिन में तमिल भाषा के 19 गाने और हिंदी के 16 गाने रिकॉर्ड कराने का कारनामा किया।

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एसपी बेहतरीन सिंगर, म्यूज़िक डायरेक्टर और प्रोड्यूसर होने के साथ ही साथ अच्छे वाइसओवर आर्टिस्ट भी हैं। उन्होंने कमल हासन, रजनीकांत, सलमान ख़ान, शाहरुख ख़ान, अनिल कपूर, गिरीश कर्नाड और अर्जुन सरजा जैसे एक्टर्स के लिए वॉइस ओवर किया। इतना ही नहीं फिल्म ‘दशावतारम्’ के तेलुगु वर्जन के लिए उन्होंने कमल हासन के 7 किरदारों की आवाज का वॉइस ओवर भी किया है। इसमें बूढ़ी औरत वाले किरदार की आवाज़ भी शामिल है।

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बालासुब्रमण्यम की आवाज़ ने दिल दीवाना बिन सजना के…, मेरे रंग में रंगने वाली…, आजा शाम होने आई…, पहला पहला प्यार है…, दीदी तेरा देवर दीवाना… मुझसे जुदा होकर…, तुमसे जो देखते ही प्यार हुआ…, बहुत प्यार करते हैं तुमको सनम…, देखा है पहली बार, साजन की आंखों में प्यार…, रूप सुहाना लगता है, चांद पुराना लगता है…. और जिएं तो जिंए कैसे बिन आपके… जैसे गानों का यादगार और कर्णप्रिय बना दिया।

आज वही कर्णप्रिय आवाज़ हमेशा के लिए ख़ामोश हो गई। एसपी बालासुब्रमण्यम को श्रद्धांजलि।

लेखक – हरिगोविंद विश्वकर्मा

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