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Harigovind Vishwakarma is basically a Mechanical Engineer by qualification. With an experience of over 30 years, having worked in various capacities as a journalist, writer, translator, blogger, author and biographer. He has written two books on the Indian Prime Minister Narendra Modi, ‘Narendra Modi : Ek Shakhsiyat’, detailing his achievements as the Gujarat chief minister and other, ‘Narendra Modi: The Global Leader’. ‘Dawood Ibrahim : The Most Wanted Don’ is another book written by him. His satires are regularly published in prominent publications.

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हरिगोविंद विश्वकर्मा भारत प्राचीनकाल से दुनिया में विश्वगुरु रहा है। या कहें कि सभ्यता के आरंभ से ही भारत की धाक रही है। यहां की...
हरिगोविंद विश्वकर्मा बेचारा रेल विभाग! बहुत लाचार है इन दिनों। दिल्ली हो या मुंबई। हर जगह रेलवे प्लेटफॉर्म पर भारी भीड़ है। यूपी-बिहार के लिए...
कार्य-योजना तैयार करने में जुटे हैं केंद्र और राज्य सरकार के कई विभाग अरविन्द उपाध्याय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी का कायाकल्प करने का...
परशुराम जयंती पर विशेष हरिगोविंद विश्वकर्मा जगत के पालनहार भगवान विष्णु, शास्त्रों के अनुसार, त्रेतायुग में वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को परशुराम...
हरिगोविंद विश्वकर्मा भारतीय होने के नाते हम अपनी ‘गंगा-जमुनी संस्कृति’ और ‘जीयो और जीने दो’ के दर्शन पर गर्व कर सकते हैं। नफ़रत की राजनीति...
उप्र के मुख्यमंत्री लोकसभा चुनाव-2024 के लिए दूसरी बार महाराष्ट्र के चुनावी समर में उतरे एम योगी ने महाराष्ट्र के सोलापुर में भाजपा...

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आज से किसी धोखेबाज या ठग को 420 नहीं कह सकेंगे

अगर आप भारत में रहते हैं तो आज से आपको अपनी क़ानून की भाषा बदल देनी होगी। जी हां, आज से आप किसी धोखेबाज...

शाम-ए-मुंबई भी कम खूबसूरत नहीं

यूं तो दुनिया भर में सुबह-ए-बनारस, शाम-ए-अवध और शब-ए-मुंबई की चर्चा ख़ूब होती है। लेकिन शाम-ए-मुंबई भी कम खूबसूरत नहीं होती। ख़ासकर अरब सागर...

समय बलवान

समय बलवान हरिगोविंद विश्वकर्मा नहीं शाश्वत यहां कुछ भी निश्चित है अंत हर चीज़ का किसी को भी नहीं समझना चाहिए ख़ुद को स्थायी यहां जब मानव नहीं हरा पाता जिस व्यक्ति को तब उसे...

फलों की रानी लीची

प्रकृति के ख़ज़ाने में कई ऐसे पौधे हैं जो किसी वरदान से कम नहीं। ये पौधे ऐसे फल देते हैं जो फल तो हैं...

गर्व से कहो हम चमचे हैं!

यह चमचायुग है। कलियुग तो कब का ख़त्म हो चुका। उसके ख़त्म होते ही चमचायुग शुरू हुआ। कलियुग के बाद सतयुग को आना था।...

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